” सबसे अच्छा ‘लाइक’,’लव’, ,’हाहा’ ,’वो’ ,’सैड’ आ ‘एंग्री’ “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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हम अपने को भाग्यशाली अनुभव कर रहें हैं कि हम अनेकों विद्वानों ,लेखकों ,साहित्यकारों ,कवियों ,राजनीतिज्ञों और दार्शनिकों की मित्रता की सुचिओं में आ गए हैं ! उनके विचारों,साहित्यक कृतियाँ ,कवितायेँ और जीवन की दार्शिनिकताओं को मनन करने का सौभाग्य प्राप्त हो गया है ! हम एकाग्र चित हो रसास्वादन करते हैं ! और यदाकदा अपने विचारों को भी रखने का प्रयास करते हैं ! लाइक, कमेंट और शेयर के मोर्चे बने हुए हैं ! अपना लक्ष्य इन्हीं तीनों में सिमट कर रह जाता है ! अधिकांशतः लोग शेयर से कतराते हैं ! परंच कमेंट पर निशाना लगाना नहीं भूलते ! संक्षिप्त कमेंट कभी -कभी अच्छा रहने के बाबजूद भी अटपटा लगने लगता है ! प्रायः -प्रायः नकारात्मक टिप्पणियां भी सकारात्मक हो नहीं पाती है ! किसी ने अच्छी कविता लिखी ! कमेंट आया ” अच्छा रोग है ” ! कहने को तो ‘रोग ‘ नकारात्मक शब्द माना जायेगा पर इसे ‘सकारात्मक ‘ रूप दिया गया है ! किसे ने आपकी उपलब्धियों को देख लिख दिया ” Very nice ! Be grounded !” हालाँकि यह नकारात्मक हो ही नहीं सकता ! पर संक्षिप्त कमेंट कभी .कभी भ्रांतियां पैदा कर देती हैं ! बात हम जिनको भलीभांति व्यक्तिगत रूपेण जानते हैं उनके कमेंट हमारे सरआँखों पर और जिन्हें हम भलीभांति व्यक्तिगत तौर पर नहीं जानते उन्हें संक्षिप्त कमेंट देने से कतराना चाहिए !…. वैसे कहा गया है, ” Brevity is a soul of wit ” परन्तु हो सके तो इस पैतरे को अपने कमेंट में न अपनाएं जिन्हें आप व्यक्तिगत नहीं जानते हैं !…..इसके अलावे ….हमें गर्व होना चाहिए कि गूगल ने हमें लाइक वाले क्षेत्रों में कई और अस्त्र दिए हैं … “लाइक”…..,”लव”……, ,”हाहा”……. ,”वो”…… ,”सैड”…… आ … “एंग्री” ! इनके प्रयोगों को कोई ललकार नहीं सकता और आप सदेव सुरक्षित रहेंगे !
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड