सबब पूछो यारों
हम हैं बेताब कहने को कुछ ख़ास बात, माना।
मगर उनसे भी तो कोई, बात करने का सबब पूछो यारों।।
हम तो ख़ैर बिगड़े हुए राही हैं, माना।
मगर उनसे भी तो कोई, राह भटकने का सबब पूछो यारों।।
हम परवाने से बने फिरते हैं माना।
मगर उनसे भी तो कोई, शमा बनने का सबब पूछो यारों।।
हम बन्दगी करने को आदी हो गए, माना।
मगर उनसे भी तो कोई, खुदा बनने का सबब पूछो यारों।।
हम भटकते हुए भँवरे आवारा हैं, माना।
मगर उनसे भी तो कोई, फूल बनने का सबब पूछो यारों।