सबने झेली ठंडी रातें और झुलसा देने वाले दिन ;
सबने झेली ठंडी रातें और झुलसा देने वाले दिन ;
फिर क्यों होते हो हताश
,त्याग समर तुम दूर खड़े ..
आ फिर से रणभेरी और हुँकार भरो
पूरा जग सुन ले और कोलाहल मच जाये .
इसी धरा पर राम ,कृष्ण और शिव, प्रताप ने युद्ध लड़े
करो वरण जय का ,
माँ भारती का शीश गर्व से उठ जाये………………