— सबक सीख लो अब —
मत काटो अब रूक जाओ
हर पेड़ की यही है पुकार
अब तक तो संभल गए हो
आगे न हो जाना तुम लाचार
हरियाली से हरे भरे वो दरख़्त
उन पर न करो इतने वार
पेड़ों की हरियाली पर
अब न करना तुम अत्याचार
जीवन तुम्हारा जो बचा है
इन दरख्तों का शुक्र मनाओ
उठो दोस्तों कुछ सबक अब ले लो
अपने हाथों से अब पेड़ लगाओ
इन से है जीवन अपना और परिंदों का
जगल में भटकते उन जानवरों का
मत छीनो घरौंदा किसी का भी
यही अब तुम सब को समझाओ
अजीत कुमार तलवार
मेरठ