सबको बस अपनी मेयारी अच्छी लगती है
सबको बस अपनी मेयारी अच्छी लगती है
किसको किसकी अब ख़ुद्दारी अच्छी लगती है
चारागर को कब तुम अच्छे लगते हो जी
चारागर को बस बीमारी अच्छी लगती है
गर्दिश ने तो तब तब मुझको आकर रोका है
जब कुछ करने की तैयारी अच्छी लगती है
संसद में जो बैठे हैं बस इन लोगों को ही
दो धर्मों में मारा मारी अच्छी लगती है
~अंसार एटवी