सबके दिलों में प्यार हो
छन्द हरिगीतिका मापनीयुक्त वाचिक
मापनी गागालगा गागालगा गागालगा गागालगा
ध्रुव शब्द-प्यार हो
मुक्तक
धड़कन रहे जबतक हृदय में सत्य ही आधार हो।
दौलत रहे या ना रहे खुशियों भरा संसार हो।
है सांस का इक बुलबुला, इसके सिवा क्या जिंदगी –
ना बैर हो ना द्वेष हो, सबके दिलों में प्यार हो।
सबके दिलों में प्रेम की, बहती हुई रसधार हो।
मतभेद आपस में न हो, सबका मृदुल व्यवहार हो।
ना धर्म हो ना जाति हो, ना बैर की हो भावना-
मिलकर रहें सब लोग अब, सबके हृदय में प्यार हो।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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