सबके अपने अपने मोहन
भारत में हर घर वृंदावन
सबके अपने-अपने मोहन
कोई कहे वो कृष्ण कन्हैया
कोई कहे वो रास रचैया
कोई माखन चोर बतावे
कोई कहे हलधर का भैया
सबके अपने नामकरण हैं
सबके अपने हैं संबोधन
सबके अपने अपने मोहन
भारत में हर घर वृंदावन
सबके अपने-अपने मोहन
कोई कहे वो नंद का लाला
कोई कहे लड्डू गोपाला
कोई कहे वो राधावल्लभ
कोई कहे वो जग भूपाला
सबका अपना प्रेमभाव है
सबका अपना रूप निरूपण
सबके अपने अपने मोहन
भारत में हर घर वृंदावन
सबके अपने-अपने मोहन
कोई कहे वो योगेश्वर है
कोई कहे वो है ज्ञानेश्वर
कोई बतावे प्रेम पुजारी
कोई कहे उसको सर्वेश्वर
सबके अपने दृष्टि भेद हैं
सबका अपना चिंतन मंथन
सबके अपने अपने मोहन
भारत में हर घर वृंदावन
सबके अपने अपने मोहन
कोई कहे मुरलीधर उसको
कोई चक्र सुदर्शन धारी
कोई बतावे छलिया उसको
कोई कहे वो है संसारी
सबका अपना भाव बोध है
सबका अपना तत्व विवेचन
सबके अपने अपने मोहन
भारत में हर घर वृंदावन
सबके अपने-अपने मोहन
-शिवकुमार बिलगरामी