“ सबकेँ स्वागत “
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
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पैघे टा नहि
छोटो केँ ,
अभिनंदन
हम करैत छी !
प्रेम सँ जे
जुड़ता हमरा सँ ,
स्वीकार सदा
हम करैत छी !!
सब छथि
अपना मे बाझल ,
अपना धुन मे
छथि मातल
प्रतिभा आ
आलोक केँ वो ,
नहि छथि पसारय
मे बाँचल !!
उपरागक गप्प
नहि कखनो
करबा क मन हुये
जेहन छी ओहने
छी सब दिन
कथमपि
परिवर्तन नहि हुये !!
कटुता क
स्थानक एतय ,
भला कहू
कौन काज ?
अभद्रता क
भाषा सँ ,
अछि हमरा
सबकेँ लाज !!
जे सोझा
आबैत छथि ,
हुनका आहाँ
सत्कार करू !
जे हृदय विदीर्ण
आहाँ केँ करताह ,
तिनका आहाँ
अस्वीकार करू !!
हम मित्र
शीघ्रतम बनिकें ,
सुंदर किला
बना लैत छी !
छोट छोट
मतांतर लकेँ ,
अपना मे हम
उलझैत छी !!
पैघे टा नहि
छोटो केँ ,
अभिनंदन
हम करैत छी !
प्रेम सँ जे
जुड़ता हमरा सँ ,
स्वीकार सदा
हम करैत छी !!
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखंड
भारत
07.12.2022