“सबकी नज़रों में एकदम कंगाल हूँ मैं ll
“सबकी नज़रों में एकदम कंगाल हूँ मैं ll
फिर भी, मुश्किलों से मालामाल हूँ मैं ll
आंखों में अश्कों के असंख्य मोती छुपे हैं,
सोच रहा हूँ स्वप्नों को घर से निकाल दूॅं मैं ll
ख्वाहिशें इस्तीफा लेती नहीं वरना,
ख्वाहिशों को इस्तीफा तत्काल दूॅं मैं ll
अपने हिस्से का दुख लेकर मानता हूँ,
प्यार के व्यापार का एक दलाल हूँ मैं ll
मेरी खुशियां ही मुझसे जलती हैं,
किसी और की क्या मिशाल दूॅं मैं ll”