Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Nov 2021 · 2 min read

सबकी अपनी-अपनी सोच है….

सबकी अपनी-अपनी सोच है….
?????????

जब किसी भी समारोह में जाता हूॅं ,
सबसे मिलकर बातें जब करता हूॅं ,
किसी मुद्दे पर राय उनकी लेता हूॅं ,
तब बड़े ही आश्चर्य में पड़ जाता हूॅं ,
सबकी राय अलग – अलग होती है ,
किसी अंजाम तक नहीं पहुॅंच पाता हूॅं ,
क्योंकि सबकी अपनी-अपनी सोच है !!

किया भी नहीं जा सकता कुछ यहाॅं ,
गहराई के बिंदु तक नहीं जा सकता ,
क्योंकि जितनी ही गहराई में जाता हूॅं ,
उतना ही ज़्यादा उलझकर रह जाता हूॅं ,
हर विचारधारा के लोग एकत्रित होते हैं ,
अपने-अपने तरीके की दलीलें रखते हैं ,
सुलझाने की बजाय बातों को उलझाते हैं ,
क्योंकि सबकी ही अपनी-अपनी सोच है !!

इतने विशाल से देश में विभिन्न धाराएं हैं ,
भिन्न – भिन्न पृष्ठभूमि के लोग बसते यहाॅं ,
शिक्षा – दीक्षा के स्तर में बहुत अंतर होता ,
हैसियत के मुताबिक जिसे ग्रहण कर पाते ,
किसी की शिक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में ही होती ,
कोई शहरों में रहकर पठन-पाठन कर पाते ,
कोई विदेशों से कुछ और अर्जित कर लाते ,
और फिर एक ही समाज के अंग बन जाते !

एक समाज भिन्न मतों का समागम होता….
कोई आस्तिकता में विश्वास करता रहता….
तो कोई नास्तिकता वादी को बढ़ावा देता !
कोई रात में वक्त पर सोने की मंत्रणा देता….
तो कोई दिवा-स्वप्न को ही उचित ठहरा देता !
कोई देशी सभ्यता-संस्कृति का वाहक होता….
तो कोई पाश्चात्य संस्कृति की ही चाहत रखता !
कोई वेद-पुराण में निहित तत्वों को नहीं मानता ,
वो सदा आधुनिक तौर-तरीकों का कायल होता !
ऐसे में कौन किस-किस काबिल को समझाए….
वो बातों को सुलझाने की बजाय उलझा ही देता !
क्योंकि हर बात में सबकी अपनी-अपनी सोच है !!

स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 10 नवंबर, 2021.
“”””””””””””””””””””””””””””””””
?????????

Language: Hindi
5 Likes · 2 Comments · 1171 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
चाँद बदन पर ग़म-ए-जुदाई  लिखता है
चाँद बदन पर ग़म-ए-जुदाई लिखता है
Shweta Soni
मैं अकेला ही काफी हू  जिंदगी में ।
मैं अकेला ही काफी हू जिंदगी में ।
Ashwini sharma
वक्त आने पर भ्रम टूट ही जाता है कि कितने अपने साथ है कितने न
वक्त आने पर भ्रम टूट ही जाता है कि कितने अपने साथ है कितने न
Ranjeet kumar patre
सच तो आज न हम न तुम हो
सच तो आज न हम न तुम हो
Neeraj Agarwal
*अंतःकरण- ईश्वर की वाणी : एक चिंतन*
*अंतःकरण- ईश्वर की वाणी : एक चिंतन*
नवल किशोर सिंह
..
..
*प्रणय*
भय
भय
Shyam Sundar Subramanian
ख़ुद की खोज
ख़ुद की खोज
Surinder blackpen
मां तो फरिश्ता है।
मां तो फरिश्ता है।
Taj Mohammad
" सबक "
Dr. Kishan tandon kranti
आज के इस स्वार्थी युग में...
आज के इस स्वार्थी युग में...
Ajit Kumar "Karn"
Your Secret Admirer
Your Secret Admirer
Vedha Singh
खोने के लिए कुछ ख़ास नहीं
खोने के लिए कुछ ख़ास नहीं
The_dk_poetry
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Sushila joshi
भारत का बजट
भारत का बजट
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
एक कुंडलिया
एक कुंडलिया
SHAMA PARVEEN
चीत्कार रही मानवता,मानव हत्याएं हैं जारी
चीत्कार रही मानवता,मानव हत्याएं हैं जारी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
4302.💐 *पूर्णिका* 💐
4302.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
दो दोहे
दो दोहे
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
आज फिर दिल ने
आज फिर दिल ने
हिमांशु Kulshrestha
🌸 मन संभल जाएगा 🌸
🌸 मन संभल जाएगा 🌸
पूर्वार्थ
ठहरी - ठहरी जिन्दगी,
ठहरी - ठहरी जिन्दगी,
sushil sarna
सदद्विचार
सदद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तू अपने दिल का  गुबार  कहता है।
तू अपने दिल का गुबार कहता है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
सफलता का सोपान
सफलता का सोपान
Sandeep Pande
"यादें और मैं"
Neeraj kumar Soni
बचपन और पचपन
बचपन और पचपन
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
ऐ हवा तू उनके लवों को छू कर आ ।
ऐ हवा तू उनके लवों को छू कर आ ।
Phool gufran
फैला था कभी आँचल, दुआओं की आस में ,
फैला था कभी आँचल, दुआओं की आस में ,
Manisha Manjari
Loading...