सफ़र
कभी उलझनों से उलझ कर
कभी खुद में ही सिमट कर
शुरू किया एक सफ़र
कभी अपनों से तो कभी अपने आप से लड़ कर।।
जब दिल आया हो रास्ते पर
तो मंज़िल तक भागना होता है।
एक रात जागने से पहले एक हौसला जागना होता है
तय कर के आए हैं मंज़िल होले फिर जो होता है
इन आंखो का सपना कहां खत्म अब होता है
हर मुश्किल से बढ़कर शुरू सफ़र अब होता है।।
✍️✍️रश्मि गुप्ता @ Ray’s Gupta