सफ़र तीखा हुआ .(ग़ज़ल)
सफ़र तीखा हुआ, मिर्ची मिले नींबू की तरह ।
दर्द़ घुलने लगा , इमली मिले काजू की तरह ।
ज़िन्दगी तैरती जाती है, हवाओं में यहाँ ;
जैसे कि – फूल से बिखरी हुई ख़ुशबू की तरह ।
हाथ पर हाथ रख बैठोगे तो पछताओगे ;
उड़ चलो दोस्त तुम भी किसी मिट्ठू की तरह ।
नज़र नीची न करो , सामने देखो तो ज़रा ;
ग़ुफ्त़ग़ू दिल से करो यार ग़ुफ्त़ग़ू की तरह ।
ज़मीं फटने लगी , बिखरा है फ़लक भी देखो;
आद़मी जी रहा , असमय पके ग़ेसू की तरह ।
रचनाकार- ईश्वर दयाल गोस्वामी ।