सफलता तेरे लिए।
फ़िया- आया।(आ)
२४/५/१७
मत गुरुर कर सफलता खुद पे, मैं हासिल करूंगी तुझे,
खातिर तेरी मैंने हर सुख भुलाया, सिर्फ तेरे लिए।
असफलताएं मुझे चाहती हैं तो चाहा करें,
प्रयास का हर नग़मा सुनाया,सिर्फ तेरे लिए।
चैन की नींद सोते हैं सब, तो शोंक से सोया करें,
दिन-रातों को खुदको जगाया,सिर्फ तेरे लिए।
उल्लू- सनकी,यमली- पगली अब कहते हैं सब मुझे,
सबने दीवानी कहकर सताया,सिर्फ तेरे लिए।
हां,मान जाते हार सभी, बस एक-दो प्रयास में,
बार बार खुद को है हराया,सिर्फ तेरे लिए।
कर जतन नित नियम से नीलम,ग़र जीत है पानी,
मां सरस्वती ने कुछ तो भाग्य में लिखायासिर्फ तेरे लिए।
नीलम शर्मा