सफलता और असफलता के बीच आत्मछवि- रविकेश झा
आप अच्छे होने का ढोंग कर रहे हैं, सफल हुए तो खुश असफल हुए तो दुखी, सफल होने के बाद भी कामना समाप्त नहीं होता, और अधिक बढ़ जाता है,
हमें कामना सताया हुआ है हम वासना से भरे हैं, चाहे धन का नाम का पद का लोभ का क्रोध का शरीर का भी, लेकिन ये बढ़ता ही रहता है। कितना भी हम भोग विलास में रहे फिर भी मन नहीं भरता है। हम प्रतिदिन जीवन में यही सब करते रहते हैं, लेकिन जब अच्छा हुआ फिर खुश बुरा हुआ तो उदास दुख व्यक्त करते हैं।
हमें कामना से फुरसत नहीं मिलता इसीलिए हम करुणा नहीं कर पाते, दया प्रेम हम नहीं करना चाहते क्योंकि उसके लिए हमें स्वयं को खोना होता है अहंकार हटाना होता है। जब हम करुणा नहीं कर पाते फिर हम करुणा और कामना से परे जा पाते और आनंदित से परिचित नहीं हो पाते हैं।
हम भगवान को भी याद और प्राथना भी करते हैं तो कामना रहित ही, जब तक हम कामना में लिप्त रहेंगे हम शांति को उपलब्ध नहीं हो सकते है, हमें जागने के लिए पहले सोचना होगा प्रश्न उठाना होगा, स्वयं से प्रश्न करना होगा, तभी हम ऊपर उठ सकते हैं। और कर्म को भी जानने में सक्षम हो सकते है।
लेकिन हम ढोंग में जीवन जी रहे हैं, हम अतीत से भागना चाहते हैं और वर्तमान से कोई मतलब नहीं बस भविष्य में लगे रहते हैं, लेकिन जो बुद्धजीवी लोग हैं वो भी भ्रम पाल के रखे हैं शास्त्र में जी लिखा है उससे मानने में लगे क्योंकि उन्हें सत्य का कुछ पता ही नहीं कोई दर्शन नहीं बस उधार का ज्ञान लेते हैं घूम रहे हैं।
पढ़े लिखे लोग हृदय की बात करते हैं पता कुछ नहीं बस मानते रहते हैं और जीवन में जब उथल हो फिर भी हम जागने के बजाय भागने और सोने में लग जाते हैं। हम करुणा भी करते हैं तो कामना रहित, हम बस स्वयं को धोका दे रहे हैं, आप वही करते हैं जिसमें आपका कामना छुपा हो,
हमें जागना चाहिए लेकिन हमें भ्रम नष्ट होने का भय सताता है, कल्पना नष्ट होने का भय है कामना भी, लेकिन हम जागने के बजाय भागने में लगे रहते हैं। आपके करुणा में भी कामना छुपा रहता है। आपको जागना होगा फिर आप समाज को जगा सकते हैं, जबरदस्ती नहीं करना है अपने मन के साथ प्रेम पूर्ण होने में समय लगेगा लेकिन होगा जरूर।
धन्यवाद।
रविकेश झा।🙏❤️