सफर में उनके कदम चाहते है।
हम उनसे उनके गम मांगते है।
खुद पर ही हम सितम चाहते है।।1।।
हर सज्दे में फिक्र है उन्ही की।
दुआ में खुदा का रहम मांगते है।।2।।
याद बनकर आता रहा है जो।
खुदा से सदा उसे हम मांगते है।।3।।
आब जैसे तिश्नगी बुझाता है।
जख्म पर वैसे मरहम चाहते है।।4।।
सभी के लबों पर इक नाम है।
ये जिंदगी उसके संग चाहते है।।5।।
हमसे वादा किया था उसने।
सफर में उनके कदम चाहते है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ