Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jun 2022 · 1 min read

सफर में।

सफर में कितने इंसा कितने कारवां मिलते है।
पर सभी मकसूद ए मंजिल पे कहां पहुंचते है।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

Language: Hindi
Tag: शेर
2 Likes · 6 Comments · 288 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Taj Mohammad
View all
You may also like:
विलीन
विलीन
sushil sarna
बहकते हैं
बहकते हैं
हिमांशु Kulshrestha
अगर प्यार तुम हमसे करोगे
अगर प्यार तुम हमसे करोगे
gurudeenverma198
अच्छे बच्चे
अच्छे बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
..
..
*प्रणय*
‘ विरोधरस ‘---3. || विरोध-रस के आलंबन विभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---3. || विरोध-रस के आलंबन विभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
4657.*पूर्णिका*
4657.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रफ़्ता रफ़्ता (एक नई ग़ज़ल)
रफ़्ता रफ़्ता (एक नई ग़ज़ल)
Vinit kumar
"मैं आग हूँ"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे तुम अपनी बाँहों में
मुझे तुम अपनी बाँहों में
DrLakshman Jha Parimal
मैं गर ठहर ही गया,
मैं गर ठहर ही गया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जिस्म से रूह को लेने,
जिस्म से रूह को लेने,
Pramila sultan
*बाल गीत (मेरा मन)*
*बाल गीत (मेरा मन)*
Rituraj shivem verma
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-151से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे (लुगया)
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-151से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे (लुगया)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
नये साल के नये हिसाब
नये साल के नये हिसाब
Preeti Sharma Aseem
समझ
समझ
Dinesh Kumar Gangwar
मुझे वो सब दिखाई देता है ,
मुझे वो सब दिखाई देता है ,
Manoj Mahato
*अनमोल हीरा*
*अनमोल हीरा*
Sonia Yadav
उठ जाग मेरे मानस
उठ जाग मेरे मानस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मंत्र: वंदे वंछितालाभाय चंद्रार्धकृत शेखराम् । वृषारूढाम् शू
मंत्र: वंदे वंछितालाभाय चंद्रार्धकृत शेखराम् । वृषारूढाम् शू
Harminder Kaur
सारे गिले-शिकवे भुलाकर...
सारे गिले-शिकवे भुलाकर...
Ajit Kumar "Karn"
"Know Your Worth"
पूर्वार्थ
मुद्रा नियमित शिक्षण
मुद्रा नियमित शिक्षण
AJAY AMITABH SUMAN
मूर्ती माँ तू ममता की
मूर्ती माँ तू ममता की
Basant Bhagawan Roy
" चले आना "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
वक्त आने पर भ्रम टूट ही जाता है कि कितने अपने साथ है कितने न
वक्त आने पर भ्रम टूट ही जाता है कि कितने अपने साथ है कितने न
Ranjeet kumar patre
*सॉंप और सीढ़ी का देखो, कैसा अद्भुत खेल (हिंदी गजल)*
*सॉंप और सीढ़ी का देखो, कैसा अद्भुत खेल (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
कौन हूं मैं?
कौन हूं मैं?
Rachana
तुम और मैं
तुम और मैं
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
பூக்களின்
பூக்களின்
Otteri Selvakumar
Loading...