सफर पर निकले थे जो मंजिल से भटक गए
सफर पर निकले थे जो मंजिल से भटक गए
गैरो को समझकर अपना, अपनों से हट गए,
सियासत की चाल में ऐसे फंसे गए नए परिंदे,
आसमान छूने की चाहत में जड़ो से कट गए !
!
डी के निवातिया
सफर पर निकले थे जो मंजिल से भटक गए
गैरो को समझकर अपना, अपनों से हट गए,
सियासत की चाल में ऐसे फंसे गए नए परिंदे,
आसमान छूने की चाहत में जड़ो से कट गए !
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डी के निवातिया