” सफर अभी बाक़ी है ” !!
हंसी अभी साथी है ,
सफ़र अभी बाकी है !!
टेढ़ी मेढ़ी पगडंडी है ,
कहीं राह पथरीली !
कठिन परिश्रम कांधे अपने ,
कट गई उम्र छबीली !
दोपहिया बना हमसफर –
खुशियां लहराती हैं !!
वादी में गूंजी आवाजें ,
मचा है हल्ला गुल्ला !
मुस्कानों के बैरी सारे ,
कहते हमें निठल्ला !
उम्मीदें परवान चढ़ी हैं –
घड़ियाँ इतराती हैं !!
काँधे हैं मजबूत अभी तो ,
सांसों में दमखम है !
है मजबूत इरादे अपने ,
मुट्ठी में भी दम है !!
ना करते परवाह कोइ हम –
राहें बल खाती हैं !!
बृज व्यास