सपनो में भटके ये लोग
दिन में परछाईं से डरते ,
सपनों में भटके ये लोग ।
ऊपर न नीचे जा पाते ,
बीच में ही लटके ये लोग ।।
गुब्बारों सी हवा भरी है ,
वजन कहाँ से आएगा ।
गला बेसुरा जिसका है ,
वो गीत कहाँ से गायेगा ।।
आँसू भरे नयन सागर में ,
कंकड़ से खटके ये लोग ….
दुविधा में माया न मिलती ,
और कभी न राम मिले ।
इस पथ पर जाऊं न जाऊं ,
राह सुबह न शाम मिले ।।
ऐंसे लोगो से चलते हैं ,
जरा सदा ही हटके लोग….
✍️सतीश शर्मा ।
लोग