सपनों में प्यार
जब मैं शर्माती थी,
होंटों तले दुपट्टा दबाती थी,
इतने से ही तुम मेरे पीछे हो जाते थे,
गर मैं हंसकर तुम्हें देख भी लेती थी,
तुम यारों से अपने शर्तें लगाते थे,
मैने बोली हीं नहीं कुछ,
तुमने मान लिया मुझे अपना,
ताने बानों में बुन लिया
मेरे खातिर एक सपना,
एक दिन आया वो भी
जब चॉकलेट तुम लाए थे,
हतप्रभ सी मैं कह न सकी,
तुम मुझे न भाए थे,
अगले ही दिन बोतल में
पानी सा कुछ तुम लाए थे,
रक्तरंजित ऑंखें लिए
पानी वो मुझ पर उड़ेल दिया,
छटपटाई मैं,
हाय तुमने ये क्या किया,
चेहरा जिस पर फिदा थे तुम,
धूं धूं कर जल गया,
बालों का जाल सिर से
एक पल में उजड़ गया,
अब भी मैं जब मुस्कुराती हूँ,
होंटों तले पल्लू न दबा पाती हूँ..
#किसानपुत्री_शोभा_यादव