सपनों में तुम्हारे – डी. के. निवातिया
गीत रचना
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शीर्षक : सपनों में तुम्हारे……!!
सपनो में तुम्हारे हम आते तो होंगे,
रातों में तुमको हम सताते तो होंगे,
की होती तो होंगी नींद ख़राब तुम्हारी,
हौले से फिर भी तुम मुस्काते तो होंगे !!
करनी है हमको तुमसे बातें बहुत सी,
गुजारी है तन्हा हमने रातें बहुत सी,
कब तक रहेंगीं यूँ अपनी बातें अधूरी,
कब तक रहेंगीं यूँ दो दिलों में ये दूरी,
यादों के पंछी दिल को भाते तो होंगे
मन को तुम्हारे जान दुखाते तो होंगे !
सपनो में तुम्हारे हम……………..!!
आहट सी दिल में कोई होती तो होगी
चाह मिलन की तुम्हें भी होती तो होगी
ख्यालों में आने जाने का यह सिलसिला
करते रहेंगे कब तक इक दूजे से गिला,
आते जाते राहो में ढूंढते तो होंगे
नयनों के बदरा अश्रु बहाते तो होंगे !
सपनो में तुम्हारे हम……………..!!
बहारों के मौसम में फ़ूलों का खिलना
तितली संग भंवरे का गुलशन में मिलना,
मिट्टी की खुशबू उसपे फसलों की रौनक,
उम्र के इस पडाव में ये दहकता यौवन
तड़प इस सूने दिल की बढ़ाते तो होंगे
रह रह कर गीत मिलन के गाते तो होंगे !
सपनो में तुम्हारे हम……………..!!
सपनो में तुम्हारे हम आते तो होंगे,
रातों में तुमको हम सताते तो होंगे,
की होती तो होंगी नींद ख़राब तुम्हारी,
हौले से फिर भी तुम मुस्काते तो होंगे !!
स्वरचित: _ डी. के. निवातिया _
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