सपनों में खो जाते अक्सर
हम बच्चे ये सोच सोचकर
सपनों में खो जाते अक्सर
कभी सोचते चिड़िया होते
केवल हँसते कभी न रोते
अगर पेड़ जैसे बन जाते
घनी छांव दे ताप मिटाते
अगर फूल जैसे हम होते
सुंदर – सुंदर हार पिरोते
नदिया से कल कल जब बहते
अपनी बातें सुर में कहते
अगर कहीं बन जाते बादल
घूम घूमकर बरसाते जल
बनकर सूरज – चाँद सितारे
रोशन करते जग को सारे
मन करता है पंछी बनकर
खूब उड़ाने भरते जी भर
डॉ अर्चना गुप्ता
28.04.2024