” सपनों में एक राजकुमार आता था “
अंजान थे जब जिंदगी के इम्तिहां से ,
लेकिन सपनों में एक राजकुमार आता था ।
ज्यादा काम – धाम करना नहीं सीखा ,
बस सतरंगी सपने सजाना आता था ।
वक्त बदला उम्र बदली पसंद बदली ,
लेकिन सपनों में एक राजकुमार आता था ।
मनमोहक लोगों के बीच मन को मजबूत बना कर ,
बस मेरे राजकुमार के लिए मन सुर गुनगुना आता था ।
सैकड़ों की भीड़ में टकराए एक से ,
लेकिन सपनों में एक राजकुमार आता था ।
ना जाने कब मन लगा बैठे उससे ,
अब तो मन सिर्फ उसकी बात दोहराता था ।
कुछ वक्त बीता कुछ लम्हें बीते ,
लेकिन सपनों में एक राजकुमार आता था ।
कुदरत का कहर था या हमारी नासमझी का जहर ,
अब उसकी हर बात पर सिर्फ गुस्सा आता था ।
मासूमियत ने आक्रोश का रूप लिया ,
लेकिन सपनों में एक राजकुमार आता था ।
वो सपना सपना ही रह गया ,
अब सपने देखने के लिए आंखों में नींद नहीं आता था ।
नींद खुली सूरज की रोशनी आंखों में पड़ी ,
लेकिन सपनों में एक राजकुमार आता था ।
आंसुओ ने मुंह धो दिया ,
राजकुमार ना आए !
अब जिंदगी का ताना बाना थोड़ा समझ आता है ।
ज्योति
नई दिल्ली