सपनों में आ कर यूँ नींदें चुरा जाना
सपनों में आ कर यूँ नींदें चुरा जाना
कब तक रहेगा तेरा यूँ आना जाना
छोड़ दी हैं हमने सारी जग की रश्मे
लक्ष्य यही बस तुम्हें जीवन मे पाना
तुम मुझे चाहो या करो तुम उपेक्षित
चाहते रहेंगे उम्र भर तुम्हें जाने जाना
अखियाँ भी प्यासी दिल में है उदासी
दीदार ए मोहब्बत का होगा नजराना
आसमां में ना जाने सितारें हैं कितने
होता माहताब सितारों में बहुत प्यारा
सुनने को कर्ण हैं सुनने को बैचेन से
वो ढाई अक्षर प्यार के कभी कहना
खुबसूरत हो तुम सुखनिता सी बेहद
मुश्किल है बहुत स्वयं को रोक पाना
झलक तेरी पाने को होते बहुत बैचेन
चाँद सा सुन्दर मुख जरा दिखा जाना
करो ना देरी, बस हो जाओ तुम मेरी
वरना अधूरा रहेगा हमारा अफसाना
जब तक है जान ,सुन लो तुम नादान
दिल में जिंदा रहेगा सदा नाम तुम्हारा
भूल जाओ मुझको बेशक तुम सनम
भूलेंगे ना तुम्हें जब तक यह जमाना
सपनों में आ कर यूँ नींदें चुरा जाना
कब तक रहेगा तेरा यूँ आना जाना
सुखविंद्र सिंह मनसीरत