सपनों के जलयान
नई पौध ने कर दिया,
खाली-खाली बाग़ !
टहनी में दिखता नहीं,
टहनी से अनुराग !!
लहरों को बहका रहे,
रोज नए तूफ़ान !
खड़े किनारे डूबते,
सपनों के जलयान !!
✍ सत्यवान सौरभ
नई पौध ने कर दिया,
खाली-खाली बाग़ !
टहनी में दिखता नहीं,
टहनी से अनुराग !!
लहरों को बहका रहे,
रोज नए तूफ़ान !
खड़े किनारे डूबते,
सपनों के जलयान !!
✍ सत्यवान सौरभ