सपनों के गीत
सपनों के गीत
जीवन के दर्शन पर हमने , जाने कितने गीत लिखे
कुछ में अपने दर्द लिखे तो, कुछ सपनों के गीत लिखे
जीवन पथ पर कदम कदम पर,पल पल सपने देखे थे
जब जब सपने पूर्ण हुए तब, रंग चहकते देखे थे
लेकिन कुछ ऐसे सपने थे, जो न कभी साकार हुए
जब जब सपने टूटे हमने,आशाओं के गीत लिखे
कुछ में अपने दर्द लिखे, तो कुछ सपनों के गीत लिखे।
बचपन, यौवन और बुढ़ापा, बारी बारी आते हैं
खुशियां और परेशानी भी, समय समय पर लाते हैं
जब खुशियाँ थी मगन हो गए,कलम अकेली पड़ी रही,
दुख की घोर निराशा में भी, बस आशा के गीत लिखे
कुछ में अपने दर्द लिखे तो,कुछ सपनों के गीत लिखे।
श्रीकृष्ण शुक्ल,
MMIG-69, रामगंगा विहार,
मुरादाबाद। उ.प्र.
पिन 244001
मोबाइल : 9456641400