सपनों की मोहक वादी में , महक रही हर क्यारी है
सपनों की मोहक वादी में , महक रही हर क्यारी है
सजी हुई सुन्दर फूलों से, यादों की फुलवारी है
यहाँ मिले जो दोस्त तुम्हें हैं ,उनको कभी नहीं खोना
भौतिकवादी युग में मुश्किल मिलना सच्ची यारी है
दुख से मत घबरा जाना तुम,आयेंगे सुख भी इक दिन
देर सवेर भले हो जाए,आती सबकी बारी है
सोचा करती हैं ये नदियां, सागर से जब मिलती हैं
अच्छे लोगों के होते भी, दुनिया कितनी खारी है
मिट जाएगी सारी इज़्ज़त, पल में पूरे जीवन की
याद सदा रखना अभिमानी, होना भी बीमारी है
जिसमें हमने पत्र पुराने ,बड़े सँजोकर रक्खे थे
आज तलक भी खूब महकती,दिल की वो अलमारी है
लिखती यदि सिंगार ‘अर्चना’, लिखती जन की बातें भी
उसके शब्दों में भावों की , मार बहुत दोधारी है
10.06.2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद