सपनों की बारात है,तो……
मन में कोई बात है तो बोल दो,
खौलता ज़ज़्बात है तो बोल दो!
सुख की प्रातः का मज़ा अपनों के सँग,
ग़म की कोई रात है तो बोल दो!
सोने को ही ध्येय अपना मत रखो,
सपनों की बारात है तो बोल दो!
गैर को फुर्सत कहाँ,दुःख दे तुम्हें-
अपनों की आघात है तो बोल दो!
मन के हारे हार से बढ़कर ‘सरस’,
दूजी कोई मात है तो बोल दो!
©सतीश तिवारी ‘सरस’,नरसिंहपुर (म.प्र.)