सपनों की दुनिया
सपनों में जीना, सपनों में रहना मानव मन की मजबूरी है
Swarna सजित महलों में रहना, पवन वेग से उड़ जाना
पल पल ऐसी दुनिया गढ़ना औरों पर खुद को भारी पड़ना
मायाजाल के दृढ़ पासो से खुद को ऐसे घेरे रखना
सपनों में जीना सपनों में रहना मानव मन की मजबूरी है
हकीकत की दुनिया में दर्द बड़े है उनमें खुशीयों को चुनना
मानव मन की मजबूरी है
जब खुशीयां मिल जाये सपनों से तो क्यों हम जागे निंद्रा से
सहसा ही दिख जाये हकीकत यदि सपनों में पल भर नहीं लगता जगने में
मन मस्तिष्क जो सोच रहा अनायास ही आ जाता है सपनों में
संभव को असंभव करता ऐसी दुनिया सपनों की
जो न कर पाते जो हम न बन पाते ऐसी दुनिया गढ़ते सपनों में
हकीकत की बात चले तो नींद हमारी उड़ जाती, टुटने की आवाजों से नींद हमारी खुल जाती
ऐसी दुनिया सपनों की, ऐसी दुनिया सपनों की