सपनों की दुनिया
एक नयी दुनिया मैंने भी बसाई है
जहां हार भी मेरी और जीत भी मेरी है
जहां गलती भी मैं खुद करता हूँ
जहां सज़ा भी खुद देता हूँ
जहां इंसान को इंसान की
पहचान करवाना जरूरी नहीं
हर कदम पर जहां सचाई की मूरत है
एक नयी दुनिया मैंने भी बसाई है
जहां हार भी मेरी और जीत भी मेरी है
जहां न कोई झूठे वादे न इरादे है
जहां हर पल अपनों का साथ
और खुशियों के लम्हें है
हर रात ये दुनिया बस्ती है
गुरु तेरे सपनों की ये दुनिया
बस तुझ तक ही सिमटी है
एक नयी दुनिया मैंने भी बसाई है
जहां हार भी मेरी और जीत भी मेरी है