सपनों की इस आस में,सफलता की भीनी प्यास में,
सपनों की इस आस में,सफलता की भीनी प्यास में,
कठिनाइयों के वास में,कहीं भूल खुद को न जाना तुम।
आंखों में सपने लिए,हाथों में हो पुस्तक लिए,
सफलता की इन राहों पर,किसी शूल से न टकराना तुम।
कर लो यदि गलती कोई,भूल तो है सबसे होई,
अपने मन में ग्लानि लिए,दोषी खुद को न ठहराना तुम।
जीतने की इस होड़ में,जिंदगी की कठिन सी दौड़ में,
अग्नि भी मिलेगी धधकती हुई,कहीं राख ही न बन जाना तुम।
चिड़ियाओं के हल्के शोर में,तुम जगना सदा ही भोर में,
पर इतना सब करते हुए,कहीं भूल खुद को न जाना तुम।