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21 Aug 2024 · 1 min read

सपनों की इस आस में,सफलता की भीनी प्यास में,

सपनों की इस आस में,सफलता की भीनी प्यास में,
कठिनाइयों के वास में,कहीं भूल खुद को न जाना तुम।

आंखों में सपने लिए,हाथों में हो पुस्तक लिए,
सफलता की इन राहों पर,किसी शूल से न टकराना तुम।

कर लो यदि गलती कोई,भूल तो है सबसे होई,
अपने मन में ग्लानि लिए,दोषी खुद को न ठहराना तुम।

जीतने की इस होड़ में,जिंदगी की कठिन सी दौड़ में,
अग्नि भी मिलेगी धधकती हुई,कहीं राख ही न बन जाना तुम।

चिड़ियाओं के हल्के शोर में,तुम जगना सदा ही भोर में,
पर इतना सब करते हुए,कहीं भूल खुद को न जाना तुम।

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