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30 Aug 2021 · 1 min read

सपनों का सच

शान्त , अकेली
सूनी सी रात
वो मिला करता था
अकसर
कुछ अनुत्तरित से प्रश्न
सवालों को
अक्सर जाते जाते
छोड़ जाता था
मिलन यामिनी के
प्रथम पहर में
उसके गात से
मेरे गात का स्पर्श
हुछ रहस्यमय
तथ्यों को छोड़ जाता
कोन था कहाँ से आया
इतना अभिन्न हृदय संस्पर्श
मन को रोमान्चित
आह्लादित करने वाला
करों का स्पर्श

ऊषा की प्रथम बेला में
सोचने को मजबूर मैं
सब याद था मुझे
वो उसका कसनी बँध खोलना
धीरे धीरे
माथे को सहलाना
बडा मनोहर स्पन्दन था
कैसे भूल सकती हूँ मैं
एक मोहिनी
आक्रमण कर रही थी
देह पर मेरी

जब खुमारी दूर हुई तो
अपने को
मैने पाया
मायाजाल से
बाहर निकला
शायद सुंदर सपना था
यहीं सपने का सच
कितना मनोहारी था
डूब जाऊँ इस सच में
कभी न उबरने वाले
सच में

Language: Hindi
78 Likes · 1 Comment · 429 Views
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