सपनों का ताना बना बुनता जा
सपनों का ताना बना बुनता जा,
हर डगर पगडंडी बढ़ाता जा,
अपनी राह मजबूत करता चल,
नई सीखें सिखाता चल।
हर ऋतु अपने रंग बिखरता चल,
जीवन एक जैसा चलता नही,
कटी पतंग जीवन उड़ाता चल,
सपनों की बुनाई बस बुनता जा ।
समय धूमिल करती है,
स्मृति सहज रखती डोर,
यादें को तारेशा रखती है,
हर कदम एक सीख देता।
हर डगर एक रहस्य जीवन,
कोई नहीं अपना, नहीं पराया,
सब कर्मों का फल है अपना,
संघर्षों से मिलती है मंजिलें।
गौतम साव