‘’’रहस्य”’
(मेरे द्वारा देखे गए स्वप्न पर आधारित लघु कथा)
“गर्मियों के दिन थे ,धूप बहुत तेज हुई थी “। कच्ची सड़क जिस पर लोगों के आने जाने से धूल उड़ रही थी ,बहुत सारे लोग आ रहे थे और बहुत सारे लोग जा रहे थे । रंग-बिरंगे तरह तरह के कपड़े पहने हुए थे बुढ़े ,बच्चे ,औरतें हर तरह के लोग थे ,उधर से आने वाले लोग अपने हाथ में तरह-तरह की वस्तुए लिए हुए थे , बच्चे खिलौने लिए थे , इससे तो इतना तय था कि आगे कहीं बहुत बड़ा मेला लगा है ।
हम भी भीड़ का हिस्सा थे हम जिस सड़क पर जा रहे थे वह पश्चिम से पूरब की तरफ जा रहा था ।कुछ दूर चलने के बाद आखिर हम उस जगह पर पहुंच ही गये जहां मेला लगा हुआ था । एक बहुत ही बड़ा बगीचा था , जिसमें मेला लगा था वहां बहुत ही भीड़ थी ,तथा शोर हो रहा था लोग समान खरीद रहे थे बेचने वाले चिल्ला- चिल्ला कर समाने बेच रहे थे ,कुछ लोग बैठ कर खा- पी रहे थे ,हमने भी मेला में चारों तरफ घुमा ।
घूमने के बाद मैं एक ऐसी जगह पर पहुंचा ,जहां सड़क पूरब से पश्चिम की ओर गई थी ,सड़क के दोनों किनारे कुछ लोग बैठे हुए थे सड़क के उत्तर 8 से 10 लोगों का झुंड बैठ था जो छोटे-छोटे झोपड़े बनाए हुए थे ।
इससे यह लग रहा था कि ये लोग कई दिनों से यहाँ पर ठड़रे हुए हैं । वह अधिकतर सफेद रंग के कपड़े पहने हुए थे , सर पर पगड़ी बांधे थे । अपने आसपास काफी साफ-सफाई रखे थे देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि कोई संत महात्मा हो ।
वहीं सड़क के दक्षिण में कुछ लोगों का झुंड भी बैठा था ,जो काफी कट्टे-कट्टे थे ,उनके साथ में भी औरतें और बच्चे थे । पुरुष कोई कपड़ा नहीं पहने थे लेकिन कमर में काला वस्त्र लपेटे हुए थे तथा दाढ़ी और बाल लंबे-लंबे थे । वह भी अपना पडाव वही डाले थे , वहीं पास में एक चूल्हा जल रहा था जिस पर बर्तन चढ़ा हुआ था जिसमें शायद मांस पक रहा था ,।
उनके साथ कुत्तों का झुंड था ,जब मैं वहां पहुंचा तो देखता हूं सड़क के दक्षिण बैठे लोगों में से एक बच्चा रो रहा था ,तभी एक आदमी उठा और एक बड़ा सा चाकू लेकर एक कुत्ते को काट दिया , और उसे जैसे ही काट कर आग में जलाने के लिए पहुंचा तभी उत्तर दिशा में बैठे लोगों का झुंड उसे देख लिया और चार पांच लोग उधर से लाठी-डंडा लेकर पहुंचे और दक्षिण वालों से कुत्ते की हत्या क्यों की इसी बात को लेकर कहासुनी होने लगी और आपस में दोनों पक्ष के लोग लड़ने लगे ।
इस स्वप्न का मतलब पता नहीं क्या होगा ,लेकिन इतना तो तय है कि ,जब से सृष्टि की रचना हुई है तब से लेकर आज तक और जब तक यह सृष्टि रहेगी और जीवधारी रहेंगे तब तक दो शक्तियां भी रहेगी एक अच्छी और एक बुरी और दोनों का संघर्ष भी चलता रहेगा ।