** सपने सजाना सीख ले **
** गीतिका **
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स्नेह के सुन्दर पलों से सुर मिलाना सीख ले।
और कुछ आशा भरे सपने सजाना सीख ले।
साथ में जिनके रहे हर पल खुशी का बांटकर।
दूर हैं सब अब अकेले मन लगाना सीख ले।
लौट कर आना हमें अपनी सुखद हर बात पर।
सुप्त अपनी भावनाओं को जगाना सीख ले।
जब हमें कोई मिले कटुता भुलाकर वक्त की।
अब समय है अश्रु खुशियों के बहाना सीख ले।
फूल सुन्दर डालियों पर हर समय खिलते नहीं।
कष्ट भी कुछ जानकर सब कुछ उठाना सीख ले।
हर जगह जग में सुखी इन्सान तो मिलते नहीं।
स्वार्थ तज कर भी किसी के काम आना सीख ले।
खत्म हो सकता नहीं जब है सफ़र लम्बा बहुत।
बिन रुके बस रात-दिन तू पग बढ़ाना सीख ले।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, १७/०९/२०२३