सपने नव वर्ष के
सपने फिर-फिर सज गए , फिर मन हुआ तुरंग ।
बीते ऐसे दिन कई , न बदला मन का ढंग ।।
हृदय – हृदय हुलास हो , अधर – अधर हो हास ।
मन में सकल भरा रहे , अटल अमल विश्वास ।।
साल कई आए गए , भांति – भांति संकल्प ।
मन – मयूर चंचल बड़ा , ढूंढे सुखी विकल्प ।।
हो पूरन मन कामना , सभी करें उत्कर्ष ।
सबको यह शुभकामना , शुभ-शुभ हो नव वर्ष ।।
अशोक सोनी
भिलाई ।