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31 Dec 2020 · 1 min read

सपने नव वर्ष के

सपने फिर-फिर सज गए , फिर मन हुआ तुरंग ।
बीते ऐसे दिन कई , न बदला मन का ढंग ।।

हृदय – हृदय हुलास हो , अधर – अधर हो हास ।
मन में सकल भरा रहे , अटल अमल विश्वास ।।

साल कई आए गए , भांति – भांति संकल्प ।
मन – मयूर चंचल बड़ा , ढूंढे सुखी विकल्प ।।

हो पूरन मन कामना , सभी करें उत्कर्ष ।
सबको यह शुभकामना , शुभ-शुभ हो नव वर्ष ।।

अशोक सोनी
भिलाई ।

Language: Hindi
2 Comments · 267 Views

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