सपने थे अपने थे ____घनाक्षरी
सपने थे अपने थे,पूरे जिन्हें करने थे।
चल दिया पथिक तो,करने को काम रे।
यहां गया वहां गया,नया नया पथ मिला।
किया नहीं उसने तो कहीं भी विश्राम रे।।
खूब करी साधना थी कर्म की आराधना थी।
सच्ची _ सच्ची भावना से,कमाया था नाम रे।।
खुशियां अपार मिली खिली _ खिली मन कली।
जिंदगानी दौड़ चली,अब तो आराम रे।।
राजेश व्यास अनुनय