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28 Nov 2023 · 1 min read

*सपने कुछ देखो बड़े, मारो उच्च छलॉंग (कुंडलिया)*

सपने कुछ देखो बड़े, मारो उच्च छलॉंग (कुंडलिया)
_________________________
सपने कुछ देखो बड़े, मारो उच्च छलॉंग
मूरख केवल खींचते, इसकी उसकी टॉंग
इसकी उसकी टॉंग, लक्ष्य को दौड़ो पाने
समय कहॉं है शेष, नहीं दिन फिर यह आने
कहते रवि कविराय, चार दिन थे बस अपने
तीन गए हैं बीत, न पूरे अब तक सपने
————————————–
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615 451

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