सपना
मैंने एक सपना देखा-
आज पार्क में घूम रही थी मेरे संग अभिनेत्री रेखा।
मैंने एक…….।
वह संग संग मेरे डोल रही थी,
मुझको नजरों से तोल रही थी।
सुन्दर सुमुधुर अपने बोलों से-
कानों में रस घोल रही थी।
मंत्र मुग्ध सा खड़े खड़े ही मैंने उसको-
चोर दृष्टि से देखा।
मैंने एक…….।
सोचा मैंने मुझको वह अपनायेगी,
मेरे मन की घंटी भी बज जायेगी।
कोई छेड़ कर प्रेम तराना-
मन में मेरे प्रेम सुधा बरसायेगी।
परन्तु अचानक सपना टूटा-
पड़े हुए अपने को मैंने पत्नी के पैरों में देखा।
जयन्ती प्रसाद शर्मा