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29 Jun 2022 · 1 min read

सन्नाटा

दरो दिवार पे पसरा सन्नाटा
क्यों दिल को मेरे घेरा सन्नाटा
महफिल में अपनी कद्र न जानकर
रूसवा हो वहाँ से लौटा सन्नाटा
बेकली लाता यादों के लहर लाता
और भला क्या लाता सन्नाटा
जब भी जीतने को सोचता बाहरी सन्नाटा
उसको हराता दिल में पसरा सन्नाटा ।

राजीव कुमार

Language: Hindi
Tag: Ghazal
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