सन्नाटा
दरो दिवार पे पसरा सन्नाटा
क्यों दिल को मेरे घेरा सन्नाटा
महफिल में अपनी कद्र न जानकर
रूसवा हो वहाँ से लौटा सन्नाटा
बेकली लाता यादों के लहर लाता
और भला क्या लाता सन्नाटा
जब भी जीतने को सोचता बाहरी सन्नाटा
उसको हराता दिल में पसरा सन्नाटा ।
राजीव कुमार