सन्नाटा
‘सन्नाटे’
का जीवंत दर्शन
सदियों बाद
या शायद पहली बार
मानव ने किया है-
साक्षात्.
‘सन्नाटे’
को निकट से देखकर
समझ में आ गया है
‘सन्नाटे’ का एकांत.
सायं-सायं करती,
फड़फड़ाती
सन्नाटे की लम्बी चादर
कैसे
धमकाती है
डराती है.
हवा की सरसराहट
भय पैदा करती है
और चहचहाती चिड़ियाँ
सन्नाटे का
परिचय दे
डर का एक नया रूप गढ़ती है.
—–
सन्नाटे के साक्षात् से
पता लगा
सन्नाटे का दर्द
अन्यथा,
भाग-दौड़ की अपरिमित,
व्यस्त
और सजी शामें
सन्नाटे के दर्द को
कहाँ समझने देतीं
सन्नाटे ने
एक अवसर दिया है
‘मंथन’ का
देश-काल को समझने
और
जीवन के
अबूझ दर्शन को
समझने
एक सुनहरे कल
को गढ़ने का.
(2 अप्रैल 2020)