“सन्त रविदास जयन्ती” 24/02/2024 पर विशेष …
माँ कलसांं, सँतोख पितु, जनमु बनारस पास,
पत्नी, लोना नाम की, पुत्र, श्री विजयदास।।
माघ पूर्णिमा, रवि दिवस, प्रगटे “श्री रविदास”
गुन पूजै, नहिँ जाति कौ, जगि दलितन महँ आस।।
कोउ भनत रोहिदास उन्हिँ, कहत कोउ रैदास,
कीन्हि भक्ति भगवान की, कीरति छुअत अकास।।
चर्मकार कै काम कौ, अपनायौ भलि आप,
सबन्हि धरमु की सीख दै, दूर भगायौ पाप।।
जिनकै मन निष्ठा बसी, प्रीति अटल बिस्वास,
ऊँच नीच कौ भेद नहिं, तिन्ह हरि पूरत आस।।
जाति-पाँति कौ ह्रदय ते, दुस्मन अपुनो जान,
सीख दई “रविदास” ने, ब्यर्थ जगत अभिमान ll
धर्म अन्तरण की प्रथा, को कीन्हों प्रतिकार,
आडम्बर, बैरी समझ, दीन्हों पँथ विचार।।
कहा भयो तीरथ किये, मन माँ कलुष महान,
चित्त अगर निर्मल भयो, गंग कठौती मान ll
जग भलि करम प्रधान पै, होय न मनुज निरास,
मारग उत्तम प्रेम कौ, कहि गए ” आशादास “..!
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