मैं एक अँधेरी गुफा में बंद हूँ,
सत्य की जीत
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
कोई दुनिया में कहीं भी मेरा, नहीं लगता
*नहीं फेंके अब भोजन (कुंडलिया)*
पुरखों का घर - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
धीरे-धीरे सब ठीक नहीं सब ख़त्म हो जाएगा
तमाशा
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
सजी सारी अवध नगरी , सभी के मन लुभाए हैं