सनातन शाश्वत किसने पसारा
निथरे को गदला देना,
सुथरे को नकारना,
बहके को फुसला लेना,
दुकान चलाने की पटरी है.
गठरी भर लेना,
प्रवचन में पत्थर बता देना.
बछड़े को हटाकर, दूध दोहन करना,
ब्रह्मचर्य का ज्ञान देकर,
परस्त्री का सम्मोहन कर लेना.
भय,खौफ,माया जाल बिछा देना,
चक्रव्यूह के जाल है.
है मानव निर्मित,
मुश्किल है तोड़ पाना.
सनातन है.
शाश्वत है.
यही तो वो जाल जिसे.
गुरु रैदास ने तोडा,
नानक ने जाना.
महात्मा बुद्ध ने जगत.
जन मन गण का किया.
प्रचार प्रचम पसारा.
कबीर, फरीद, संत तुकाराम,
सुकरात, गैलीलियो,
महेन्द्र सिंह हंस