सनम
ओ सनम जरा सुन सनम
दीवाने का नजराना सनम
दिन को चैन ना रात चैन
हर पल क्षण बैचेन सनम
हरकतें हुई हैं अन्जान सी
तेरे प्यार में पागल सनम
चाहै पास हो चाहे दूर हो
दिल के बेहद करीब सनम
हर साँस में समाई रहती हो
जीवन की तुम परछाईं सनम
जब से तुम्हारे दीदार हुए
आँखों में तुम छाई सनम
मैं शरीर तुम मेरे प्राण हो
प्राणों बिन कैसे जिऊँ सनम
तुम्हें हद बेहद चाहा है
बाहों में आ जाओ सनम
याद तेरी बहुत रुलाती है
खुश करने आ जाओ सनम
जीना मुझे तेरे साथ है
तुम बिन मर जाऊँगा सनम
सुखविंद्र सिंह मनसीरत