सदा साथ चलता है …..
सदा साथ चलता है …..
कल
कहाँ कभी गुजरता है
हर पल ये साथ चलता है
इसके गर्भ में
सदियाँ मुस्कुराती हैं
घड़ियों के सुइयाँ भी
बीते कल के अन्धकार से
थरथराती हैं
वर्तमान की चौखट को
ये सदा चिढ़ाता है
एक पल के बाद
आज को
कल बन जाने का भय दिखाता है
सृजन में संहार की
ये अनुभूति कराता है
समझ ही नहीं पाता इंसान
वो कल के गुजरे काल में
क्या- क्या गुनाह छुपाता है
वर्तमान
कितना भी संपन्न क्यों न हो
सदा कल की गोद में पलता है
भानु से उगता है
ये भानु सा ढलता है
कल कहाँ कभी गुजरता है
ये तो
ज़िंदगी के साथ भी
ज़िंदगी के बाद भी
सदा साथ चलता है,सदा साथ चलता है …..
सुशील सरना