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6 Dec 2023 · 1 min read

सदा मन की ही की तुमने मेरी मर्ज़ी पढ़ी होती,

सदा मन की ही की तुमने मेरी मर्ज़ी पढ़ी होती,

मेरी पलकों से वो भीगी हुयी अर्ज़ी पढ़ी होती,

तेरी नज़रों में ही महफ़ूज़ रह जाती वफ़ा मेरी,

जो अपने दिल की ही तूने ये खुदगर्ज़ी पढ़ी होती !!

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