सदाचार है नहिं फलदायक
शुक्रवार, दिनांक-06/10/2023
आधार छंद-‘ आल्ह/वीर ‘ छंद मापनीयुक्त मात्रिक
विधान- 31 मात्राभार, 16,15:पर यति, चरणांत गाल अनिवार्य.
समांत-‘ उनता ‘, पदांत-‘ कौन ‘
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गीतिका-
जिन राहों पर नहीं सफलता,ऐसी राहें चुनता कौन।
पूरे नहिं होते जो सपने,तो वह सपने बुनता कौन।(१)
चढ कर गिरना और फिसलना,जीवन का ही है आधार,
सफल सदा ही हो जाता तो,अपने सिर को धुनता कौन।(२)
सदाचार है नहिं फलदायक, होती छोटी मन की सोच,
यदि इसमें सच्चाई होती, शुद्ध भावना गुनता कौन।।(३)
समय कराता जीवन दर्शन,और सिखाता इसके पाठ,
अनुभवहीन वृद्ध होते तो,उनकी बातें सुनता कौन।(४)
कहते तो औरों को हम सब,खाते खूब मलाई खीर,
बिन श्रम के ही यदि मिल जाती,तो श्रम भट्टी भुनता कौन।(५)
🙏अटल मुरादाबादी ✍️
९६५०२९११०८