सदाचरण ही ——– फलता है!!!
“”अच्छे — बुरे की पहचान””
सच्ची लगन से मेहनत जो करता है ।
खर्चे भी सोच समझकर करता है।
अनायास मिल जाए किसी को कुबेर का खजाना।
उंगलियां पांचों घी में रगड़ता है।।
चलता रहता जो हमेशा सरल राहों पर।
हो न जाए गलतियां वह तो डरता है।
राहें ही जिसने अनैतिक पकड़ ली हो।
गलतियां लाख करके भी अकड़ता है।।
कण-कण में जो ईश्वर की सत्ता देखें।
सहानुभूति हर जीव से रखता है।।
रोंद देता कई जिंदगियां पैरों तले।
बादशाहत जो खुद की समझता है।।
वैसे तो सच कहने वाले मिलते बहुत कम।
व्यवहार उसका कईयों को खलता है।।
फेहरिस्त इतनी लंबी है झूठ की।
सिक्का भी उसी का चलता है।।
नेक नियति से चलना ही संकल्प हमारा।
सपना एक यही पलता है।।
चाहते हैं साथ मिले सभी का हमको।
सदाचरण ही “”अनुनय”” अंत में फलता है।।
राजेश व्यास अनुनय