*”सदभावना टूटे हृदय को जोड़ती है”*
“सदभावना टूटे हृदय को जोड़ती है”
जब कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान बनाने के लिए सामने वाले व्यक्ति की निस्वार्थ भाव से सेवा देखभाल करता है तो उसे किसी बात की चिंता नहीं रहती है वो तो प्रेम भाव विभोर होकर ईश्वर की आज्ञा लेकर सेवा देखभाल में जुट जाता है।
जब किसी भी काम में तन मन धन से जुट जाते हैं तो ये पता ही नहीं चलता है कि हम दूसरों के प्रति छल कपट की भावना रखें।
किसी पीड़ित व्यक्ति की निस्वार्थ भाव विभोर होकर मदद करते हैं तो सिर्फ ईश्वर से यही प्रार्थना करते हैं कि पीड़ित व्यक्ति को दुखी व्यक्ति को जिसे कष्ट हो रहा है वो कराह रहा है रो रहा है तन मन से दुखी हैं तो उसकी देखभाल पूरी तरह से करना चाहिए।
दुखी कष्ट से पीड़ित व्यक्ति रोगी व्यक्ति को दुखी देखकर मन द्रवित हो उठता है और जुबान पर एक ही शब्द निकलता है कि हे प्रभु इनके दुख को हरो ज्यादा कष्ट मत दो ।
अगर कोई सहयोग कर रहा है तो उसके साथ मदद करने का प्रयास करिए।
जब हम दूसरो की तबीयत को देखकर उसके पास बैठकर कुछ देर बातें करते हैं तो उनका मन मस्तिष्क हल्का हो जाता है और दिल खुश होकर मुस्करा कर दुआ देता है शुभ आशीर्वाद देता है क्योंकि उन कष्ट के समय कुछ देर बात कर लेने से उनके हृदय के तार आपसे जुड़ गए हैं और जीवन जीने की उम्मीद जताई है।
बड़े बुजुर्ग के पास बैठकर कुछ अच्छी बातों का अनुभव महसूस होता है वो अपनी पहचान बनाने में कामयाब होने में जो समय निकाले हैं उसे किसी न किसी रूप से दूसरों को बताना चाहते हैं जो उनकी पूरी बातें सुनता है तो उन्हे अपना ध्यान केन्द्रित रखते हुए कुछ देर के लिए दुख दर्द भूल जाता है और जुबान से निकली बातें याद कर मन मस्तिष्क हल्का हो जाता है।
जब हम किसी बुजुर्ग इंसान के पास बैठकर उनके हाथो को सहलाते हैं उनके पैरों पर सिर पर हाथ फेरते है तो कितना सुखद अहसास अनुभव महसूस होता है जिससे उनके टूटे हृदय को जोड़ती है और उन्हें खुशी मिलती है।
कभी रूठते हुए कभी मनाते हुए ,कभी नाराज होकर भी अपनी पुरानी बातों को भुलाते हुए उन दुखद स्थितियों को देखकर फैसले बदल लेना चाहिए।
हर समय एक जैसी स्थिति नहीं रहती है परिस्थितियां बदलते ही रहती है।
चाहे मौसम हो या इंसान समय के साथ साथ चलते हुए बदलते ही रहता है।
अपने परिवार के साथ सद्गुण ,सदाचार ,सदभावना के गुणों से परिपूर्ण ही निस्वार्थ सेवा देखभाल करनी चाहिए।
आज हम बड़े बुजुर्ग की सेवा देखभाल कर रहे हैं कल हमारे पोते पोती ,बच्चे बड़े सभी हमारी सेवा देखभाल करेंगे।
एक दूसरों का ख्याल रखते हुए बिना छल कपट किए हुए सेवा देखभाल करेंगे तो उनका लाभ आने वाले दिनों में जरूर मिलेगा।
इसके अलावा जो उनके दुखी मन मस्तिष्क को कष्टों से पीड़ित रोगी व्यक्ति को अपने हाथ से पकड़ कर कुछ खिलाया पिलाया जाए ,उनकी पसंद की चीजें को लेकर खुश किया जाए तो गुजरे जमाने की यादों में खोकर दिल खोल हंस पड़ेंगे।
यही वजह है कि उनकी मानसिकता को थोड़ी राहत मिली वो खुश हो गए।
उनके तन मन के शुद्ध साक्षी भाव विभोर होकर हृदय से जुड़ जाते हैं।
यह हम घर पर ही नहीं बाहर गए व्यक्ति से संपर्क करते हुए अपनी दिल की बात समझ कर शेयर कर सकते हैं।
दूर बैठे हुए भी लोगों से अपनी बात अंदर अंतरात्मा को जोड़ लेती है और जुबान बंद होने पर भी अपनी बात उन तक पहुंच जाती है।
इसे टेलीपैथी भी कहते हैं जो दूर रहकर भी मन की बात समझ ले उनके टूटे हृदय को जोड़े रखती है।
शशिकला व्यास शिल्पी✍️